यह कविता पढने से पहले कृपा कर इस विडियो को देखे , यह एक विज्ञापन हे , विश्वास करे मैंने यह कविता इस विज्ञापन के प्रसारित होने से कई साल पहले लिखी थी , परन्तु यह विज्ञापन मैंने अभी २ दिन पहले ब्रांड मैनेजमेंट की क्लास में देखा , तो कुछ अपना सा लगा , फिर उस पुरानी किताब जिसमे में लिखा करता हूँ , उस पर से धुल हटाई तो पाया की मैंने भी कुछ साल पहले ऐसा ही कुछ लिखा था , शायद आप लोगो को पसंद आये ,
कौन कहता हे , सपने सच नहीं होते ,
एक बार सपना देख कर तो देखो,
कभी कुछ बड़ा सोच कर तो देखो ,
आसमां को हाथो में महसूस कर के तो देखो ,
तारो को जमीन पर लाना कोई बड़ी बात नहीं ,
चाँद से दोस्ती कर के तो देखो ,
हाथ खोलकर किस्मत की बातें न करो तुम ,
एक बार मुट्ठी बंद कर के तो देखो ,
माथे की लकीरे बदल जाएँगी ,
कभी दिल से कुछ छह कर तो देखो ,
रेगिस्तान में भी फुल खिला सकते हो ,
एक बार बिज बो कर तो देखो ,
अँधेरे में भी राह ढूंढ़ लोगे ,
रौशनी की आस रख कर तो देखो ,
सपने सारे सच हो जायेंगे ,
एक बार सपना देख कर तो देखो ,