Thursday 29 April 2010

चलिए आज फिर एक शुरुआत की जाए

चलिए आज फिर एक शुरुआत की जाए ,

किसी अनजान चेहरे से मुलाकात की जाए ,

उजालो से तो थक गए कहते कहते ,

आज अंधेरो से ही बात की जाए ,

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Saturday 24 April 2010

असमंजस

क्यों में
तुम्हारे बारे में सोचता हूँ
और सवालो से घिर जाता हूँ ,
क्यों मुझे
शब्द नहीं मिलते
जिन्हें पिरोकर में कविता बना सकू ,
क्यों कल्पना की उड़ान ,
तुम पर आकर ,
थम जाती हे ,
क्यों में चाँद , तारे , फुल , खुशबु ,
किसी भी एहसास को ,
तुमसे जोड़ नहीं पाता,
क्यों मेरी कलम ,
कमजोर हो जाती हे ,
तुम्हारे बारे में जब सोचने लगता हूँ ,
क्यों मुझे तुमसे खुबसूरत ,
कुछ और दिखाई नहीं देता ,
जिसके साथ में तुम्हारी ,
तुलना कर सकू ,
तुम्हे न में अंको में आंक सकता हूँ ,
न शब्दों में ढाल सकता हूँ ,
कही किसी से सुना था मैंने ,
प्यार को परिभाषित नहीं कर सकते ,
पर तुम्हारे सामने आकर ,
उसे भी
अपने छोटेपन का एहसास होता हे ,
मैं खुदा से जिरह करता था ,
अपनी बदकिस्मती को लेकर ,
माथे की लकीरों से झगड़ता रहता था ,
पर उस मालिक को मुझ पर
दया आ गयी ,
मेरी नाराजगी एक बार में दूर करने को ,
मेरी जिंदगी मैं
तुम आ गयी ,
मैंने खुश होने के कारणों को ,
ढूंढा करता था कभी ,
पर तुमने मुझे जीने का मकसद दे दिया ,
संसार में इतनी भाषाए क्यों हे ,
सोचा करता था में ,
पर अब समझ में आया ,
कोई तुम्हारे बारे में ,
दुनिया को समझाने निकला होगा

Wednesday 21 April 2010

क्षणिकाए

ख्वाबो की पतंग उड़ाने को बेताब हूँ ,
पर जिंदगी की डोर सुलझती ही नहीं ,
सुलझाने की कोशिश करता हूँ ,
तो सिरा नहीं मिलता ,
सिरा जो मिला तो ख्वाब गुम गए ,
ख्वाब को ढूंढा ,
तो डोर को फिर उलझा पाया ,

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सपनो की उडान को थकने नहीं दूंगा ,
हौसलों के तूफान को थमने नहीं दूंगा ,
लहरों पर होगा बसेरा मेरा ,
लहरों से किनारों को उजड़ने नहीं दूंगा ,

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काँटों के बीच फूलो सा खिलना सीखो ,
जिंदगी में गमो को पीना सीखो ,
मुश्किलों में उम्मीद के दिए जलाये रखना ,
सपनो को अपने दिल में सजाये रखना ,
एक दिन होगा तेरा जहाँ सारा ,
इस आस को दिल में बनाये रखना ,

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मैं जाग रहा था ,
ताकि देश सो सके ,
मैं मौन था ,
ताकि देश हँस सके ,
मैं गोलियां खा रहा था ,
ताकि देश चैन से खाना खा सके ,
मैं हमेशा के लिए सो गया ,
ताकि देश जाग सके ,
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