Monday 21 February 2011

उस गलियारे मैं

This post is dedicated to all my frnds attending their last lecture at IMT today........... wish u all best of luck..

कुछ ख्वाब पुरे ,
कुछ अधूरे ,
चला लिए ,
एक बार फिर ,
उस गलियारे मैं ,

बिताये हंसीं पल जहाँ ,
वो मस्ती , वो खिलखिलाहट ,
गूंजती अब भी हे जहाँ ,
यारो संग बिताये पल ,
उस गलियारे में ,

आज चेहरा मायूस ,
आँखे बोझल ,
पैर लड़खड़ाते हे ,
चलते हुए ,
उस गलियारे में ,

न जाने कब
मिले साथ फिर,
सुनाई दे आवाज फिर ,
" तेरा लेक्चर हे क्या "
उस गलियारे में ,

न जाने कब ,
फिर दबोचे कोई मुझे कहे ,
" क्यों रे ज्यादा पढ़ रहा हे ,
कल कैंटीन क्यों नहीं आया "
उस गलियारे में ,

वो गलियारा न हो जैसे ,
जीवन का अहम् हिस्सा हुआ ,
शुरू हुआ २ साल पहले ,
वो ख़त्म किस्सा हुआ ,
उस गलियारे में ,

-अर्पित सिंह परिहार

3 comments:

  1. Nice one Parihar...
    Alwz a fan.. :)

    ReplyDelete
  2. बहुत सुंदर लिखा है आपने!
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. This is so touching...... must say anybody will revisit those good old days just by reading these few lines......... nostalgic..... good work

    ReplyDelete