This post is dedicated to all my frnds attending their last lecture at IMT today........... wish u all best of luck..
कुछ ख्वाब पुरे ,
कुछ अधूरे ,
चला लिए ,
एक बार फिर ,
उस गलियारे मैं ,
बिताये हंसीं पल जहाँ ,
वो मस्ती , वो खिलखिलाहट ,
गूंजती अब भी हे जहाँ ,
यारो संग बिताये पल ,
उस गलियारे में ,
आज चेहरा मायूस ,
आँखे बोझल ,
पैर लड़खड़ाते हे ,
चलते हुए ,
उस गलियारे में ,
न जाने कब
मिले साथ फिर,
सुनाई दे आवाज फिर ,
" तेरा लेक्चर हे क्या "
उस गलियारे में ,
न जाने कब ,
फिर दबोचे कोई मुझे कहे ,
" क्यों रे ज्यादा पढ़ रहा हे ,
कल कैंटीन क्यों नहीं आया "
उस गलियारे में ,
वो गलियारा न हो जैसे ,
जीवन का अहम् हिस्सा हुआ ,
शुरू हुआ २ साल पहले ,
वो ख़त्म किस्सा हुआ ,
उस गलियारे में ,
-अर्पित सिंह परिहार
Nice one Parihar...
ReplyDeleteAlwz a fan.. :)
बहुत सुंदर लिखा है आपने!
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
This is so touching...... must say anybody will revisit those good old days just by reading these few lines......... nostalgic..... good work
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