Saturday 25 December 2010
Tuesday 14 December 2010
बचपन खो गया
सर से शुरू होकर,
आँखों के रास्ते,
उदासी उसके चेहरे पर थी,
गला भी भर आया था,
दिल की धड़कने तेज हो गयी,
पेट में जैसे कुछ रेंगने लगा,
पांव कपकपाने लगे,
आत्मविश्वास , मेहनत , लगन जैसी,
कुछ उल जुलूल बातें कहकर,
लोग उसे और डराने लगे,
अभी तो सांप सिड़ी भी ठीक से खेलना कहा सीखा था,
फिर सफलता की सीड़ी , कामयाबी , मंजिल जैसे,
पाठ क्यों पढ़ाने लगे,
माँ का आँचल ही उसके लिए दुनिया थी,
तो देश और दुनिया की क्यों परवाह करे वो,
उसकी छाती की गर्माहट ही तो पहचानता था बस,
फिर भला ग्लोबल वार्मिंग उसे कैसे समझ में आता,
काश वो इन सारे टेंशन को खूंटी से टांग सकता,
जैसे वो अपने बैग , कपड़ो को टाँगता हे,
बस ऐसा सोचते सोचते वो सो गया,
और एक अनजानी सुबह की तलाश में,
एक बचपन और खो गया,
आँखों के रास्ते,
उदासी उसके चेहरे पर थी,
गला भी भर आया था,
दिल की धड़कने तेज हो गयी,
पेट में जैसे कुछ रेंगने लगा,
पांव कपकपाने लगे,
आत्मविश्वास , मेहनत , लगन जैसी,
कुछ उल जुलूल बातें कहकर,
लोग उसे और डराने लगे,
अभी तो सांप सिड़ी भी ठीक से खेलना कहा सीखा था,
फिर सफलता की सीड़ी , कामयाबी , मंजिल जैसे,
पाठ क्यों पढ़ाने लगे,
माँ का आँचल ही उसके लिए दुनिया थी,
तो देश और दुनिया की क्यों परवाह करे वो,
उसकी छाती की गर्माहट ही तो पहचानता था बस,
फिर भला ग्लोबल वार्मिंग उसे कैसे समझ में आता,
काश वो इन सारे टेंशन को खूंटी से टांग सकता,
जैसे वो अपने बैग , कपड़ो को टाँगता हे,
बस ऐसा सोचते सोचते वो सो गया,
और एक अनजानी सुबह की तलाश में,
एक बचपन और खो गया,
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