Wednesday 19 May 2010

क्षणिका

इक आँख दूजी से बोले ,
मैं खुश हूँ , तू क्यों नम हैं ,
तो दूजी बोली ,
तू खुश हे मुझे बस यही गम हे ,

2 comments:

  1. वाह वाह अर्पित - क्या बात कही है सार्थक, समसामयिक और बहुत गहरी

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  2. आपकी छोटी छोटी रचनाएं प्रभावित करती हैँ।आगे बढ़ो कल तुम्हारा है!

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