Wednesday 19 May 2010

क्षणिका

इक आँख दूजी से बोले ,
मैं खुश हूँ , तू क्यों नम हैं ,
तो दूजी बोली ,
तू खुश हे मुझे बस यही गम हे ,

Tuesday 18 May 2010

वो कुछ देर इधर ठहरा होगा................

वो कुछ देर इधर ठहरा होगा ,

उसकी खुशबु यहाँ आज भी हे ,



चलो फिर खुशियों के गीत गुनगुनाये ,

सुर हे , साज हे , आवाज भी हे ,



आज कह दो दिल की बातें सारी ,

वक़्त हे , मौका हे , अल्फाज भी हे ,



हम शिकायत करे तो करे किससे ,

हमें जिसने लुटा उसके सर पर ताज भी हे


मेरा हबीब मुझसे नाराज हो गया ,

आज मालूम हुआ , उसका ऐसा एक अंदाज भी हे ,